श्री राजेन्द्र यादव से जुडी बातों को "हिंदी भवन" सभागार में साझा करते हुए कथाकार संजीव .
परिचय को रोमांचक कर गए। प्रश्नो को मुक्त करने वाले, तुम सोए नहीं अब जागे हो। रूढ़ीवादिता के छज्जे तले, घुटती सांसो को खुला आसमान देने वाले। द…
एक युग का अंत ''डॉ राजेन्द्र यादव का साहित्यिक परिवेश से अचानक चले जाना-एक युग के अंत जैसा है, इस अभाव की पूर्ति नहीं जा सकती''…
राजेन्द्र यादव और ओम थानवी Rajendra Yadav and Om Thanvi
डियर फ़ादर आदरणीय राहुल जी, भोत गल्त बात है । इतनी गल्त बात है कि लंबी चिट्टी का मूड नहीं बन रहा । नागपुर से लौटते वक्त कल हवाई जहाज़ में टा…
किसी के जाने से समय रुकता नहीं, साहित्य भी समय सा ही गतिमान, समय सा निष्ठुर कहाँ किसी के आने जाने से विचलित हुआ है, किंतु राजेन्द्र यादव का आना और अ…
लगभग 7-8 साल पहले प्रेस क्लब जयपुर में उन्हें सुना, उनकी बातें जेहन में आज भी है, उतर गईं थीं दिल तक । राजेन्द्र यादव जी ने कहा था - " …
कितनी कमज़ोर थी हमारी तैयारी, और आगे और भी कमज़ोर है अशोक गुप्ता दुनिया में मौत से बड़ा सच और कोई नहीं है. अगर अकाल मृत्यु की बात छोड़ दें, तो उम्…
'पाखी' के राजेंद्र यादव पर केंद्रित सितंबर-2011 अंक के संपादकीय का किंचित संशोधित प्रारूप। 29 अक्टूबर 2013 को राजेंद्र यादव के देहावसान पर …
को-पायलट* गुलज़ार बहुत कम लोग थे फ्लाइट में, और वो था उस आधी रात की फ्लाइट में कम ही लोग होते हैं अँधेरे में चले थे हम, मगर कुछ देर मे…
प्रांजल धर 2710, भूतल डॉ. मुखर्जी नगर, दिल्ली – 110009 मोबाइल - 09990665881 प्रांजल धर की बिल्कुल नयी और अप्रकाशित कविताएँ माफ़…
प्रांजल धर जन्म – मई 1982 ई. में, उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिले के ज्ञानीपुर गाँव में। शिक्षा – जनसंचार एवं पत्रकारिता में परास्नातक। भारतीय जन…
"वो लोग तुम्हें अतीत में जीने के लिए मजबूर करेंगे लेकिन तुमको आने वाले कल के लिए जीना होगा ।" शाहिद की ज़िंदगी से दूर जा चुकी मरियम ने ये…
यूं तो मनीषा के परिचय में काफी चीजें कही जा सकती हैं। वो पेशे से पत्रकार हैं, राइटर हैं, ब्लॉगर हैं, फेसबुक पर स्त्रियों की उभरती हुई सशक्त आव…
जयप्रकाश फकीर बी टेक, एम टेक, एम ए सम्प्रति : भारत सरकार में उच्चाधिकारी संपर्क : non_conformist_jay@yahoo.com चाँद की तस्वीर वह शायर द…
चुप्पी :: 1 :: हर औरत लिखती है कविता हर औरत के पास होती है एक कविता हर औरत होती है कविता कविता लिखते-लिखते एक दिन खो जाती है औरत और …
कवितायेँ : विजया कान्डपाल देहरादून में जन्मीं स्वतंत्र पत्रकार विजया कान्डपाल अंग्रेज़ी व हिन्दी में लिखती हैं, इनकी रचनायें हिन्दी व अंग्रेज़…
“ देर से ही सही पर अब हिन्दी में भी नये समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए नये तरीके से सोचने और काम करने का समय आ गया है। अब हिन्दी में भी अनुव…