किस तरह संसद सदस्य पाठक ने शादी के आश्वासन के साथ श्यामा को यौन संबंध के लिए राज़ी किया और कैसे वह लगातार जनसेवा और लोक छवि की दुहाई देकर शादी से ब…
पैगाम-ए-सियासत क्या कहिए… ~ प्रेम भारद्वाज वे सम्मान लौटा रहे हैं / नहीं, वे प्रतिरोध की गोलियां दाग रहे हैं... चरम निराशा की अवस…
वरिष्ठ साहित्यकार चित्रा मुद्गल जी की शब्दांकन से हुई बातचीत का हिस्सा ... प्रतिरोध की ताक़त कलम ~ चित्रा मुद्गल असहिष्णुता और असह…
अथ चालू पुरस्कार प्रकरण - दिविक रमेश वे लेखक सबसे खतरनाक हैं जो न इधर बोल रहे हैं न उधर, बस मौन हैं पर पूछता हूं कि उनसे समझदार कौन …
वर्तमान साहित्य साहित्य, कला और सोच की पत्रिका वर्ष 32 अंक 10, अक्टूबर , 2015 सलाहकार संपादक: रवीन्द्र कालिया | संपादक: विभूति…
आज़ादी और विवेक के पक्ष में प्रलेस, जलेस, जसम, दलेस और साहित्य-संवाद का साझा बयान और आगामी कार्यक्रमों की सूचना देश में लगातार बढ़ती हुई हिंसक…
अभिनेत्री ~ विनोद भारद्वाज कहानी वह बहुत आकर्षक थी। आज की भाषा में बोल्ड ऐंड ब्यूटीफुल। सेक्सी। उस जमाने में हम उसे ‘म…
मीडिया तुम्हे शर्म नहीं आयी ! - भरत तिवारी मीडिया ! तुमनेे सुर्खियाँ बटोरने वाली हेडलाइन लिखी है मीडिया तुम्हे शर्म नहीं आयी? अस्सी…
क्या हम साहित्य अकादमी को कमज़ोर बना रहे हैं मृदुला गर्ग मैं वह दुविधा अपने साथी लेखकों से साझा करना चाहती हूँ, जिसने मुझे परेशान कर दिया ह…
जो विरोध करना चाहते हैं उनके अपने-अपने तरीके होते हैं - भरत तिवारी जो विरोध करना चाहते हैं उनके अपने-अपने तरीके होते हैं। यह भी देखना होता …