विपश्यना — सत्येंद्र प्रताप सिंह — संस्मरण: पार्ट 4 तपस्या बहुत कठिन लगने लगी थी। रात को 9 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक सोने के वक्त को छोड़क…
असली स्वाद पाने के लिए रसिक मूल भाषा को अधिक पसंद करता है - भरत तिवारी हर बोली का एक अपना-काव्य होता है, भाषाओं का विस्तार और भा…
विपश्यना — सत्येंद्र प्रताप सिंह — संस्मरण: पार्ट 3 सुबह सबेरे उठना भी एक कठिन टास्क होता है। खासकर ऐसी स्थिति में जब आपको 3 बजे रात को सो…
भक्ति भारतीय शास्त्रीय नृत्य के मूल में है — भरत तिवारी description श्रुती कोटि समं जप्यम जप कोटि समं हविः हविः कोटि समम गेयं गे…
(Image courtesy: Sonu Mehta/HT Photo) तैयार हो दोस्तों ? — कपिल मिश्रा तुम लड़ नही पाओगे उनसे अगर उन्हें पहचाना नहीं। उनकी भाषा और उन…
कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में — बहादुर शाह ‘ज़फर’ मकबूल ‘फ़िदा’ हुसैन की तस…
गुड़गाँव के एक स्कूल में सात साल के प्रद्युम्न की हत्या बड़ी बेरहमी से बाथरूम में कर दी गई... प्रेमा झा की 'प्रद्युम्न की माँ' …
देवनागरी की महत्ता पर बापू का ख़त हिंदी-दिवस विशेष इस संस्करण को हिंदी में छापने के दो उद्देश्य हैं। मुख्य उद्देश्य यह है कि …
भारत एक नदी मातृक देश है। यहाँ की तमाम बड़ी छोटी नदियों ने ही अपने अपने तटों पर हज़ारों बरसों से नाना सभ्यताओं और परंपराओं को उपजाया और सींचा…
मैं एक नया मुकाबला दूंगा — ए आर रहमान — भरत तिवारी (आज के नवोदय टाइम्स में प्रकाशित) http://epaper.navodayatimes.in/1355186/…