गुड़गाँव के एक स्कूल में सात साल के प्रद्युम्न की हत्या बड़ी बेरहमी से बाथरूम में कर दी गई... प्रेमा झा की 'प्रद्युम्न की माँ' …
धर्महीन — सोनिया बहुखंडी गौड़ स्त्री का अपना कोई धर्म नही होता सभी स्त्रियों की नही होती सुन्नत सिंक में बर्तन मांजते वक़्त बहते …
गोरखपुर से सिसकियाँ सुकृता पॉल कुमार अनुवाद: हर्षबाला शर्मा दम घोंटू काले धुंए से घिरा एक जीवित बम रख दिया गया हर छोटी…
अनामिका की कवितायेँ Poems of Anamika इतिहास इतिहास मुझको नहीं चीन्हता, लेकिन मैं खूब जानती हूँ उसे। वह मेरी कक्षा का हीरो था! …
न जाने कब ही क्या तुम मांग बैठो — गौरव सक्सेना "अदीब" प्रेम ही है एक अमर चीज़। प्रेम को पढ़ना प्रेम, देखना प्रेम, सुनना प्रेम..…
Photo (c) Bharat Tiwari कृष्णा सोबती की कविता वैदिक है क्रान्ति क्रान्ति क्रान्ति भारत में क्रान्ति नहीं है यह कोई…
वो जला रहे हैं ये गुलिस्तां — भरत तिवारी वो जला रहे हैं ये गुलिस्तां हो बुझाने वालों तुम कहाँ यहाँ आग घर तक पहुँच रही ज…
रूपा सिंह की कवितायेँ शिमला में गोल मेज़ देख के लिखी गई कविता तीन कुर्सियाँ थीं, क़रीने से रखीं दूधिया, सफ़ेद, शफ़्फ़ाक। बीच मे…