लेखन के बहाव की लय तय कर रही होती है कि जो लिखा गया वह कहानी बना या नहीं। युवा कहानीकार विजयश्री तनवीर की कहानी ‘अज़ाब’ इस पाठक को अपने साथ बहा ले गई…
और फिर उस रात उनके सपने में काली मिर्च खरीदते एक अंग्रेज दिखा। वह अंग्रेज दालचीनी को बहुत गौर से देख रहा था। उस अंग्रेज ने किशोरी बाबू को एक हैट गिफ…
कहानी: राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान 2022 गाँठ विजयश्री तनवीर [शिक्षा : एम.ए. हिंदी व समाजशास्त्र, पत्रकारिता और जनसंपर्क में डिप्लोमा (जामिया…
एक चट्टान गिरती है खामोशी की नींद में (कहानी की हर बात झूठ हो सकती है पर हर झूठ की डबल सच्चाई है...) टि्वंकल रक्षिता [ट्विंकल रक्षिता, गया जिले…
आलोचक, कवि, प्रो रघुवंश मणि को कहानियाँ ज़रूर लिखनी चाहिए। उनकी नई कहानी 'शुभ्रवस्त्रा' पढ़िए, आप भी शायद मेरी बात से सहमत होंगे। ~ सं० यह एक…
तनाव वाली कहनियों के बीच सुखद बयार है प्रिय कहानीकार योगिता यादव की कहानी 'भाप'। जिस तरह प्रिय ममता कालिया जी की कहानियाँ हौले से पाठक के भी…
अखिलेश समकालीन हिन्दी कहानी के मन-मिज़ाज और उसकी एक अलग पहचान को गढ़ने, बनाने और बदलने वाले महत्वपूर्ण कथाकार हैं। नब्बे और उसके के बाद की हिन्दी कहान…
मृदुला गर्ग के उपन्यास चित्तकोबरा का 'इडिशंस बैन्यन' से फ्रेंच संस्करण CHITTAKOBRA, Le cobra de l'esprit (चित्तकोबरा, कोबारा दे ले'इ…
गुलज़ार साहब को कैसे भी पढ़िए, उनके शब्दों की चमक सबसे जुदा, चमकदार और सटीक होती है। उनके गद्य में भी नज़मों की रवानगी होती है। शब्दांकन पर आप पहले भी …
खुशवन्त सिंह - खुशवन्त सिंह की कहानियां - खुशवन्त सिंह किस्से Khushwant Singh Ki Kahaniyan खुशवन्त सिंह से हम वाकिफ़ हैं और हममें में से बहुत उनकी …
सियार देवता का रहस्य (पार्ट २) सत्यजित रे
सियार देवता का रहस्य सत्यजित रे
असग़र वजाहत का नाटक 'ईश्वर-अल्लाह' | Asghar Wajahat's Play 'Ishwar-Allah' ईश्वर-अल्लाह (नाटक) असग़र वजाहत
युवा रचनाकार दिव्या श्री का परिपक्व होता लेखन उनकी कहानी 'प्रेम गली अति सांकरी' के माध्यम से हिन्दी साहित्य के पाठकों को एक अच्छे लेखक के आग…
मौत का एक दिन मुअय्यन है नींद क्यूँ रात भर नहीं आती मिर्ज़ा ग़ालिब का यह शेर बड़े दर्दनाक रूप में जयश्री रॉय की कहानी 'गुलमोहर' पर सही बैठता ह…
वरिष्ठ कहानीकार महावीर राजी की एक सुंदर कहानी 'शिनाख़्त' पढ़िए। महावीर राजी की कहानी शिनाख़्त
रानी माँ का चबूतरा मन्नू भंडारी की कहानी ‘खातिर हम क्या करेंगे काका, बच्चों को सुलाते-सुलाते देर हो गई।’ फिर बूढ़ी काकी की ओर घूमकर बोली, ‘काकी, क…
मन्नू भंडारी जी का जाना हिन्दी और उसके साहित्य के उपन्यास-जगत, कहानी-संसार का विराट नुकसान है। मन्नूजी अपने लेखन द्वारा महिलाओं को प्रदान अमिट आवाज़…
अधजले पटाखे बटोरने वाली पीढ़ी ~ रघुवंश मणि वर्ष: १९७४, दीपावली। स्थान : फैजाबाद, चौक और उसके आसपास। समस्त पात्र काल्पनिक हैं।
सत्यजित राय की कहानियाँ ब्राउन साहब की कोठी